Visit blogadda.com to discover Indian blogs मेरा गाँव मेरी सरकार: स्वराज: अभी कहां खड़े हैं हम?

स्वराज: अभी कहां खड़े हैं हम?

कहने को आज गांवों मे पंचायती राज है और कानून में साल में 3-4 ग्राम सभा बैठकों की भी व्यवस्था है। और जब हम मोहल्ला सभा या ग्राम सभा की बात करते हैं तो एक तर्क यह दिया जाता है कि पंचायती राज भी तो भ्रष्टाचार का ही राज है। दुर्भाग्यवश गांवों में सभी अधिकार चुने हुए प्रतिनिधियों को दिए गए हैं। ग्राम सभा यानि के गांव के आम लोगों की इसमें कोई भूमिका नहीं है। इसीलिए चुने गए प्रतिनिधि भ्रष्ट हो चुके हैं। लोग अपने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी तय कर पाने में खुद को ठीक उसी असहाय पाते हैं जैसे अपने सांसद और विधायकों की जिम्मेवारी तय करने में अब तक असमर्थ रहे हैं।
इस सन्दर्भ में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं। जहां भी कानून के कुछ अच्छे होने या प्रधान के अच्छे होने से गांव में ग्राम सभाओं की बैठक में फैसले लिए जाते हैं। मध्य प्रदेश में इस दिशा में कुछ प्रगतिशील कदम उठाए गए हैं। 2002 में यहां ग्राम सभाओं को अधिकार मिला कि गांव में ठीक से काम न करने वाले कर्मचारियों का वेतन रोक सके। इस अधिकार ने अपना असर भी दिखाना शुरु कर दिया है। तीन गांवों की ग्राम सभा ने अपने इस अधिकार का प्रयोग वैसे स्कूल टीचरों के वेतन रोकने के लिए किए जो स्कूल आते नहीं थे या ठीक से नहीं पढ़ाते थे। इसका असर ये हुआ कि कल तक स्कूल से गायब रहने वाले टीचर अब स्कूल में दिखाई देने लगे।  
दूसरी तरफ, शहरी इलाकों में तो आम लोगों की सभा जैसी कोई संस्था है ही नहीं। शहरी क्षत्रों के लिए केन्द्र सरकार ने एक नगर राज बिल बनवाया है। इस विधेयक में पहली बार शहरों के लिए ग्राम सभा के तर्ज पर क्षेत्र सभा बनाने की बात है। हालांकि नगर राज विधेयक में भी क्षेत्र सभा को कोई विशेष अधिकार देने का उल्लेख नहीं है। जो अधिकार दिए गए हैं, वो लोगों को शहरी प्रशासन में भागीदारी की औपचारिकता तक ही सीमित रखेगा। केन्द्रीय प्रारुप के अनुसार नगर के वार्डों को कई भागों में बांट दिया जाएगा जिसे क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा और हरेक क्षेत्र में 3000 मतदाता होंगे और इन मतदाताओं की एक सभा होगी जिसे क्षेत्र सभा कहा जाएगा और इस सभा को कुछ अधिकार भी दिए जाएंगे। 
स्थानीय सरकारी कर्मचारियों पर नियन्त्रण रख सकने लायक कोई अधिकार क्षेत्र सभा के पास नहीं होगा। सिर्फ दिखावे के लिए मिले अधिकारों से लोगों की रुचि क्षेत्र सभा की बैठक में कम हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो सरकार और राजनीतिक पार्टियों को शासन और स्थानीय लोकतन्त्र में नागरिक सहभागिता के विचारों की आलोचना करने का अच्छा बहाना मिल जाएगा। 
ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज कानून को तथा शहरी क्षेत्रों में भी इसी तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है स्थानीय स्कूल, दवाखाना, राशन दुकान, सड़क, स्ट्रीट लाइट, इत्यादि से जुड़े काम और उस पर नियन्त्रण का अधिकार लोगों के पास हो। इसी तरह उपरोक्त कार्यों से सम्बन्धी अधिकारियों पर ग्राम सभा या क्षेत्र सभा का नियन्त्रण होना चाहिए।  

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