Visit blogadda.com to discover Indian blogs मेरा गाँव मेरी सरकार: किसके लिए काम करते हैं अधिकारी?

किसके लिए काम करते हैं अधिकारी?

एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में, सरकारी कर्मचारी जनता के प्रति जवाबदेह होता है। भारतीय लोकतन्त्र में जिम्मेवारियों को ठीक से पारिभाषित तक नहीं किया गया है, जिसकी वजह से न तो ठीक से इसे समझा जा सकता है और न ही इसका सही इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे सभी सरकारी सेवक जनता के प्रति लापरवाह लेकिन अपने अफसरों और नेताओं के प्रति जवाबदेह हो गए है। यही भ्रष्टाचार के बढ़ने का एक सबसे बड़ा कारण है। नीचे बना चार्ट हमारी व्यवस्था में जवाबदेही और आम आदमी के अस्तित्व की सच्चाई का खुलासा करता है:-
पुलिस स्टेशन में एक एसएचओ को वो सभी साधन और शक्तियां दी जाती है जिससे वो नागरिकों की हिफाज़त कर सके। लेकिन यदि वो जनहित के विरुद्ध काम करता है तो जनता के पास एसएचओ के उस कृत्य के लिए जवाबदेह ठहराने का कोई विकल्प नहीं होता है। लोग सिर्फ उस एसएचओ के बॉस के पास शिकायत कर सकते है जो खुद जनता के प्रति लापरवाह होता है। वो अधिकारी बिना कोई कारण बताए जनता की उस शिकायत को खारिज कर सकता है। एसएचओ, डीएसपी के प्रति उत्तरदायी होता है जो एसपी के प्रति उत्तरदायी होता है। एसपी, सीनियर एसपी और सीनियर एसपी डीआईजी के प्रति उत्तरदायी होता है। डीआईजी, आईजी के प्रति और आईजी डीजी के प्रति उत्तरदायी होता है। डीजी गृह मंत्री के प्रति उत्तरदायी होता है जो कैबिनेट का सदस्य है और कैबिनेट की सामूहिक उत्तरदायिता विधान सभा के प्रति होती है। आम आदमी अपने विधायक से शिकायत कर सकता है जो यदि चाहे तो उस शिकायत को विधान सभा में उठा सकता है। मतलब एक एसएचओ के गलत कामों के लिए विधान सभा में आवाज़ उठानी होगी जो लगभग असम्भव है क्योंकि विधान सभा के पास इतना समय ही नहीं हो सकता कि नागरिकों की एफआईआर न लिखे जाने, अस्पतालों में डाक्टरों के न मिलने, स्कूल, सड़क, बिजली, पानी में रोज़मर्रा के भ्रष्टाचार के मामले उसमें उठाए जा सकें। 
एसएचओ को सीधे-सीधे  जनता के प्रति उत्तदायी बनाना होगा। जब तक ऐसा नहीं होगा स्थितियां नहीं बदलेंगी। इसी तरह सभी स्थानीय अधिकारियों को भी आम लोगों या आम सभा के प्रति उत्तरदायी बनाने की आवश्यकता है।

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