Visit blogadda.com to discover Indian blogs मेरा गाँव मेरी सरकार: नक्सलवाद का एक ही विकल्प

नक्सलवाद का एक ही विकल्प

न बन्दूक से रुकेगा न विकास से रुकेगा
नक्सलवाद तो बस ग्राम सभा से रुकेगा
छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के 113 गांवों में आजकल ये नारा दिया जा रहा है। गांव गांव में स्वराज लाने के अभियान के अन्तर्गत रामानुजगंज (रामचन्द्रपुर) ब्लॉक के गांवों में अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए पांच लक्ष्य रखे गए हैं -
1. लोक व तन्त्र के बीच दूरी कम हो।
2. वर्ग विद्वेश को वर्ग समन्वय में बदलना।
3. अहिंसक समाज की रचना की गारंटी।
4. भ्रष्टाचार मुक्त ग्राम पंचायत।
5. ग्रामीण उत्पादन व ग्रामीण उपभोक्ता वस्तुओं को शासन के करों से और प्रतिबंधों से मुक्त कराना।

अभियान की घोषणा लोकस्वराज के प्रति समर्पित समाज सेवी श्री बजरंग लाल अग्रवाल की पहल पर रामानुजगंज में 24-25-26 दिसम्बर 2009 को आयोजित एक सम्मेलन में की गई। इसके तहत हरेक गांव में 15-15 लोगों की एक लोकपंचायत का गठन किया जाएगा। यह लोक पचायत गांव के सक्रिय लोगों की पंचायत होगी। इनका काम होगा अपने अपने गांव में ग्राम सभा की बैठक करवाना। छत्तीसगढ़ के पंचायती राज कानून के मुताबिक गांव के लोग मिलकर ग्राम सभा करा सकते हैं। कानून के मुताबिक प्रत्येक ग्राम सभा बैठक के लिए ग्राम प्रधन के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति से अध्यक्षता कराई जाती है। यह लोक पंचायतें सुनिश्चित करेंगी कि उनके गांव में हर महीने ग्राम सभा की बैठकें हों।
यह कार्यक्रम समाजसेवी केशव चौबे उर्फ स्वराज बाबा के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। इसका लक्ष्य है अगले छह महीनों के अन्दर लक्षित 113 गांवों में ऐसा माहौल तैयार करना ताकि गांव का बच्चा बच्चा ग्राम सभा के महत्व को समझने लगे और ग्राम सभाएं होने लगें। इसके लिए राज्य के पंचायती राज मंत्री अरविन्द नेताम के साथ मिलकर ज़िले के सम्बंधित अधिकारियों  के साथ भी समन्वय बिठाया गया है ताकि उनका सहयोग लगातार बना रहे।
ग्राम सभाएं होंगी तो लोक व तन्त्र के बीच की दूरी स्वत: ही कम हो जाएगी। इसके साथ ही बाकी के पांच लक्ष्य प्राप्त करने का रास्ता भी खुलने लगेगा। पांचवे लक्ष्य अर्थात ग्रामीण उत्पादन व ग्रामीण उपभोक्ता वस्तुओं को शासन के करों से और प्रतिबंधों से मुक्त कराने के मुद्दे पर प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन इसे एक आवश्यक कदम बताते हुए बजरंग लाल जी का कहना है कि सरकार के प्रतिबन्ध् लोगों के गुलामी की तरफ ले जा रहे हैं, (मसलन गन्ना किसानों को मजबूर किया गया है कि वे सिर्फ सरकार को गन्ना बेचें, यह लोगों की स्वतन्त्रता का हनन है। यह फैसला भी ग्राम सभाओं में होना चाहिए।)
यहां यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि बजरंग मुनि जी रामानुजगंज कस्बे में नगरपालिका के चेयरमैन रह चुके हैं। उस दौरान इन्होंने रामानुजगंज में व्यवस्था की थी कि नगर में जो भी कार्य होगा वह नगर के लोगों की मर्जी से होगा। मुनि जी हरेक शुक्रवार शाम चौपाल लगाकर बैठ जाते थे। नगर के लोग सभा में आते और अपनी शिकायत या मांग रखते। यही नगरपालिका के कर्मचारियों का अगले महीने का कार्य एजेण्डा होता। अगले हफ्रते की सभा में इन कार्यों की प्रगति की जानकारी जनता को दी जाती और फिर अगले हफ्रते के लिए लोगों की मांगें सुनी जातीं। यह पूरे देश की नगरपालिकाओं में अपनी तरह का अनूठा प्रयोग था।

6 comments:

कृषि समाधान said...

ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है...
प्रेम ही एक रास्ता है....

सादर
चन्दर मेहेर
kvkrewa.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com

मनोज कुमार said...

अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

kshama said...

Abhyaspoorn aalekh hai..naxalwad ab bhayanak roop dharan kar gaya hai..bahari atank se yah bheetari aatank kahin zyada khaufnaak hai..

shama said...

"आदमी आदमी के बीच दीवारें खड़ी हैं
घर घर में ए.के.-47 तनी है
गांव गांव में वीरानी छायी है
.........................
........................
और मेरे मुल्क के जागे हुए लोग
सरहदों पर अमन के सपनों में मशगूल हैं"
Parson ke hadse ke baad man vishann ho gaya hai..kahan chale hain ham?Kab rukega yah atyachar ka silsila?Mare gaye jawanon ka kya qusoor tha?Aise hamlon me beqasoor hi mare jate hain..

Anurag Geete said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है... हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है, इसी तरह तबियत से लिखते रहिये.

महामूर्खराज said...

ek achchi suchna pahal karne walon ko mera slaam aur aapko jankari share karne ke liye dhanywaad

Post a Comment